लखनऊ: दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के विरोध में यूपी के सभी मेडिकल स्टोर आज बंद हैं. इससे न सिर्फ दवा कारोबारियों का पचास करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है, बल्कि जरूरतमंद लोगों को दवा नहीं मिल पा रही है. बीमार और तीमारदार मेडिकल स्टोर से लेकर अस्पताल तक चक्कर लगा रहे हैं.लखनऊ में अमीनाबाद का दवा बाजार एशिया की सबसे बड़ी दवा मंडी है, जहां पूरी तरह से बंद का असर देखने को मिला है.
केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट फेडरेशन ऑफ़ यूपी (सीड़ीएफयूपी) के आह्वान पर पूरे यूपी में सभी मेडिकल स्टोर को बंद किया गया है. यूपी में लगभग एक लाख बारह हजार दुकाने हैं, प्रदेश में एक दिन का कारोबार पचास करोड़ रुपये का है. अकेले लखनऊ में लगभग सात हजार दुकाने हैं, जिन पर फिलहाल आज ताला लटक रहा है. हालांकि सीडीएफयूपी के प्रवक्ता पंकज सिंह के मुताबिक़ अस्पतालों में जन औषधि केंद्र और नर्सिंग अस्पतालों की डिस्पेंसरी खुली हुयी है. लेकिन बावजूद इसके अस्पतालों के बाहर लोग दवा की पर्ची लिए घूम रहे हैं.बंदी के चलते न सिर्फ थोक व्यापारियों, दुकानदारों बल्कि सरकार का लगभग पचास करोड़ का नुकसान हो रहा है.
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों पर बंदी का सबसे ज्यादा असर हुआ है, अस्पतालों की डिस्पेंसरी से कुछ दवाएं ही मिल पा रही हैं आजमगढ़ से इलाज के लिए आये रामधारी चौरसिया को सिर्फ दो दावायें अस्पताल से मिल पायी हैं, जबकि पांच दवाएं लेने के लिए वो बाजार में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन मेडिकल स्टोर बंद होने से वो परेशान हैं.
सीतापुर के मोहम्मद यासीन सुबह से बलरामपुर अस्पताल में बेटी को दिखाने पहुंचे थे, दोपहर में नंबर आया तो डॉक्टर ने उन्हें ये पर्ची पकड़ा दी. अस्पताल से तो दवा मिली नहीं, बाजार में मेडिकल स्टोर बंद है लिहाज़ा उनको दवा के लिए कल तक इंतज़ार करना पड़ेगा. जबकि बेटी की हालत बिगड़ती जा रही है.
दवा व्यवसाइयों का कहना है कि ऑनलाइन बिक्री न सिर्फ उनके व्यापार पर असर डाल रही है बल्कि गुणवत्ता पर भी असर कर रही है. एक ही पर्चे से लोग कई जगह से दवा खरीद ले रहे हैं, ऑनलाइन बिक्री में सबसे ज्यादा डिमांड नशीली दवाओं की है जो आसानी से मेडिकल स्टोर वाला नहीं देता है, वालमार्ट और दुसरे बाजार ने भी दवाओं के दाम और उसकी गुणवत्ता में कमी की है. लिहाज़ा उनकी मांग है जल्द इस ऑनलाइन कारोबार को बंद किया जाए, नहीं तो उन्हें बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा.